Rajdut News
Vehushka, September 16, 2024
राजस्थान के दूदू जिले का एक छोटा सा गाँव, छापरवाड़ा, आजकल एक खास कारण से चर्चा में है। यह गाँव भले ही छोटा हो, लेकिन यहाँ का विशाल तालाब इस गाँव को देखने लायक बना देता है। दूदू से सिर्फ 12 किलोमीटर दूर स्थित यह गाँव अपने तालाब के कारण लोगों का आकर्षण केंद्र बना हुआ है। यह तालाब दूदू से केवल 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और खूडियाला गाँव की सीमा समाप्त होते ही शुरू हो जाता है।
आज हम इसी तालाब और इसके चमत्कारी रूप के बारे में बात करेंगे। पिछले 29 वर्षों के बाद इस तालाब की चादर फिर से चली है, जो कि लोगों के बीच उत्सुकता का कारण बनी हुई है। तालाब की कुल भराई 22 फीट है और चादर 17 फीट पर चलती है, लेकिन इतने सालों से इसमें पानी नहीं पहुँचने के कारण चादर नहीं चल सकी थी। अब जब यह चादर चल पड़ी है, तो आसपास के गाँवों के लोग ही नहीं, बल्कि दूर-दूर से भी लोग इस अद्भुत दृश्य को देखने के लिए यहाँ पहुँच रहे हैं।
तालाब का पानी दूर-दूर तक फैला हुआ नजर आता है, जैसे समुद्र के किनारे बैठे हों। चादर के गिरते हुए पानी का दृश्य देखने योग्य है और यह लोगों के लिए एक बड़ा आकर्षण बन चुका है। इस तालाब के पास एक चादर और एक बड़ी मोरी है, जिसे पानी का मोरी कहा जाता है। इन दोनों जगहों पर पानी के गेट बनाए गए हैं, जो कि देखने वालों के लिए एक और दिलचस्प दृश्य बनाते हैं।
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अब तक इस चादर को चले 13-15 दिन हो चुके हैं, और अगर बारिश नहीं होती है, तो यह चादर लगभग 10 दिन और चल सकती है। बारिश होने पर यह चादर एक महीने से भी ज्यादा समय तक चल सकती है। इस अद्भुत दृश्य को देखने के लिए हर दिन हजारों लोग यहाँ पहुँच रहे हैं, जिससे प्रशासन के लिए भी भीड़ को नियंत्रित करना मुश्किल हो रहा है।
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छापरवाड़ा गाँव का यह तालाब और उसकी चादर न सिर्फ ग्रामीणों के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक बड़ा आकर्षण बन चुकी है। अगर आपने अभी तक इस तालाब की चादर नहीं देखी है, तो आपके पास अभी भी कुछ दिन हैं इस अद्भुत प्राकृतिक दृश्य का आनंद लेने के लिए।
राजस्थान के दूदू जिले के छापरवाड़ा गाँव में स्थित बांध 29 साल बाद फिर से लबालब भर गया है, जिससे क्षेत्र के किसानों में जबरदस्त उत्साह है। 1995 के बाद यह पहली बार है जब बांध पूरी तरह से भरा हुआ है, और इसकी चादर भी बह रही है। किसानों के लिए यह एक सुखद अवसर है, क्योंकि बांध का पानी उनकी फसलों के लिए जीवनरेखा साबित होगा।
बांध के भरने से जहाँ क्षेत्र में सिंचाई की संभावनाओं में वृद्धि हुई है, वहीं प्रशासन भी बांध की सुरक्षा को लेकर सतर्क है। मौजमाबाद उपखंड अधिकारी बीरबल सिंह चौधरी ने हाल ही में बांध का निरीक्षण किया और अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। बांध की स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचा जा सके।
छापरवाड़ा बांध 1995 में आखिरी बार पूरी तरह से लबालब हुआ था, और इसके बाद से बांध में पानी की कमी बनी हुई थी। इतने सालों बाद फिर से बांध का लबालब होना न केवल किसानों के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए खुशियों की लहर लेकर आया है। बांध के लबालब होने से न सिर्फ खेती के लिए पानी की पर्याप्त व्यवस्था हो गई है, बल्कि जल संरक्षण के दृष्टिकोण से भी यह एक महत्वपूर्ण घटना मानी जा रही है।
प्रशासन द्वारा लगातार बांध की स्थिति की निगरानी की जा रही है, और अधिकारी बांध की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सतर्क हैं। छापरवाड़ा बांध की यह स्थिति न केवल किसानों के जीवन में नई उम्मीदें लेकर आई है, बल्कि क्षेत्र की जल समस्याओं के समाधान की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है।